यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

रविवार, 22 जुलाई 2018

जब भीषण अवरोधों से



जब भीषण अवरोधों से कोई आम आदमी उबरेगा
तोड़ सभी दुःख के बंधन जब आम आदमी गरजेगा
प्रेरणा के नव नायक का जब अभिनंदन करना होगा
जन-मन के वाणी से सहज तब उदधृत गीत मेरा होगा


सारी आशाओं के पर्वत जब भी जलधि में डूबेंगे
जीने को लालायित मन ही जब जीवन से उबेंगे
अंधकार प्रति दिशा रहेगा ऊषा मार्ग भ्रमित होगा
आशा से तब भरे अधर पर केवल गीत मेरा होगा


जब भी प्रेम विखंडित होगा नयन नीर टपकेंगे
उर के स्पंदित पीड़ा से रोम - रोम बरसेंगे
ऐसे में प्रेमी मन के जब साथ नहीं कोई होगा
उसके उर की औषधि का तब केवल गीत मेरा होगा


सुख के रंग सभी ने भोगे मैंने बस पीड़ा भोगी
बहुत लताड़ा है जीवन ने, यूँ ही नहीं बना जोगी
मुझको भी तो पता नहीं था शब्द मेरा साथी होगा
आँसू - आँसू शब्द बनेंगे, जीवन गीत मेरा होगा


जब भी निजी स्वार्थ की खातिर अपने राष्ट्र से छल होगा
जयचंदों की मिली भगत से बैरी का मनबढ़ होगा
जब-जब भारत माँ के सिंहों को जागृत करना होगा
शत्रु के वक्षस्थल पे तिरंगा वाला गीत मेरा होगा


पवन तिवारी
संवाद -  ७७१८०८०९७८
Poetpawan50@gmail.com

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