यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शनिवार, 2 जून 2018

मैं आवारा नहीं हूँ


मैं आवारा नहीं हूँ
हाँ,वक़्त की नज़र में आवारा हूँ
तभी तो दुनिया की नज़र में आवारा हूँ
क्योंकि दुनिया की अपनी नज़र नहीं
सब वक़्त के नज़रिये के मोहताज़
मैंने ये सच जान लिया
आप ने जाना की नहीं

मैं अब भी अपनी बात पर कायम हूँ
मैं आवारा नहीं हूँ ’’
आप उस दिन मानेंगे जिस दिन
मेरी ख़त्म हो जायेगी
वक़्त से अनबन पर
मुझे तब भी नहीं पड़ेगा फर्क

बस ! ख़ुद पर होगा गर्व
अपने सत्य पर ,अपने आत्मविश्वास पर
हाँ तब कहूँगा, एक लम्बी साँस लेकर
सीने को उभार और नथुनों को फुलाकर
मैं कहता था न
मैं आवारा नहीं हूँ

पवन तिवारी
सम्पर्क ७७१८०८०९७८
poetpawan50@gmail.com
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