यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शुक्रवार, 15 जून 2018

पद व पैसे ने उनको गुबारा किया


पद व पैसे ने उनको गुबारा किया
मंच पर इसलिए वारान्यारा किया
ज्ञान के शहद में जो थे डूबे हुए
उनका आयोजकों ने कबाड़ा किया

मंच से अर्थ  वाले  अनर्गल  कहें
हो विषय और कुछ,और कुछ वो कहें
शारदा पुत्र नीचे विवश हो सुने
ऐसे आयोजकों को कहें क्या कहें

हर जगह मंच पर अर्थ आसीन है
शारदा  पुत्र  नीचे  पड़ा  हीन है
ज्ञान की बातें,बातों तक सिमटी हुई
मंच  पर अर्थ वाले  समीचीन हैं

हर किसी को चमक चाहिए मंच पर
हों के बदनाम, पर नाम हो मंच पर
योग्य लोगों को श्रोता बना कर बिठा
अर्थ वाला  है अध्यक्ष बन मंच पर 

पवन तिवारी

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