यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 17 अप्रैल 2018

शब्दों ने काटा खामोशियों ने मारा


शब्दों ने काटा  खामोशियों  ने  मारा
उम्मीद न थी जिनसे उन्होंने ही तारा

जहां  भर में घूमा जहां भर में जीता
लौटा  जो घर तो मैं घर में ही हारा

चींटी ने जिस दिन था हाथी को मारा
समझा  तभी  भाग्य  का वो सितारा

उसी दोस्त ने हमसे धोखा किया था
जिसने  कहा  सब हमारा – तुम्हारा

करूँ किसपे विश्वास यारों – पियारों
कि यारों ने ही लूटा सारा  किनारा

कि अब दोस्ती  दोस्ती से भी डरती
इस  रिश्ते ने सारा  विश्वास  मारा   

बताएँगे दिल - दर्द अब दुश्मनों से
मगर  दोस्तों  से नहीं  है  गँवारा

पवन तिवारी
सम्पर्क – ७७१८०८०९७८
poetpawan50@gmail.com


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