यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 14 नवंबर 2017

जाने क्यों बहुत कुछ आता है जाने के बाद















जाने क्यों बहुत कुछ आता है जाने के बाद
जाने क्यों बहुत कुछ मिलता है मरने के बाद
जाने क्यों कुछ लोग मशहूर होते हैं गुजरने के बाद
जाने क्यों बहुत अच्छे आदमी कहे जाते हैं न रहने के बाद
किसी में अच्छाइयाँ क्यों आ जाती हैं अचानक उसके न होने के बाद
क्यों किसी की पीढ़ियाँ अमीर होती हैं उसके मरने के बाद
उसके सवालों के जवाब क्यों मिलते हैं उसके चले जाने के बाद
क्यों नहीं कुछ होता वक्त पर क्यों होता है वक्त बीत जाने के बाद
क्यों कुछ लोग अमर होते हैं मर जाने के बाद
फिर भी ये बाद क्यों होता है सब कुछ करने के बाद
लोग सरकारी योजना क्यों हैं जो होती है पूरी समय बात जाने के बाद
जिस दिन ये बाद हो जाएगा पहले वो दिन होगा
दुनिया भर के लिए ख़ास
लोग पढ़ेंगे,याद करेंगे कविताएं लेकिन कविताओं में
कुछ मर जाने के बाद
काश ये बदले मनहूस परम्परा, लोग याद किये जाएँ
अच्छे कहलायें ,अमर हों,बाद होने से पहले आबाद हों
फिर कहीं बाद हों


पवन तिवारी

सम्पर्क – 7718080978

poetpawan50@gmail.com
  

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