यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शनिवार, 28 अक्तूबर 2017

मेरे दोस्त तुझको ये क्या हो रहा है























मेरे दोस्त तुझको ये क्या हो रहा है
कोई तुझसे क्या बेवफा हो रहा है

चेहरे की तेरे क्यों रंगत उड़ी है
कोई तेरा अपना दगा दे रहा है

उदासी नहीं अच्छी होती कभी भी
तूं नजरों से अपनी गिरा जा रहा है

हो बेफिकर तूं बढ़ जिन्दगी में
सफलता का तेरे समय हो रहा है

ठोकर सिखाती असल जिन्दगी है
अभी सच में तूँ आदमी हो रहा है

जाने कितनी ठोकर,खाये ‘पवन’
तभी जिन्दगी में सफल हो रहा है


पवन तिवारी

सम्पर्क – 7718080978


poetpawan50@gmail.com

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