यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

रविवार, 27 अगस्त 2017

ऐसा वर दो हे हनूँमान






















हो देश सफल,सक्षम सुन्दर
तन-मन निर्मल अन्दर बाहर
नैतिकता, संस्कृति प्रणय गान
हो कीर्ति चतुर्दिक यश महान
भारत से पाए जगत ज्ञान
जहाँ गुरु ग्रन्थ,गीता महान
भारत ही बसे मेरे तन-मन में
हो गर्व जो भारत में जन्में

ऐसा वर दो हे हनूँमान

हर इक उर में हो राष्ट्र प्रेम
हर दृग में हो करुणा का प्रेम
हम सत्य के प्रति आग्रही रहें
कर्तव्य मार्ग पर अडिग रहें
अग्रजों का हो सत्कार सदा
अनुजों पर स्नेह फुहार सदा
गुरुवृन्द का पूजन प्रथम रहे
हम रहें ना रहें राष्ट्र रहे

ऐसा वर दो हे हनुमान

जीवन में निस्पृह कभी नहीं
छल-राग द्वेष भी कभी नहीं
हम पढ़ें नित्य सत पथ मंतर
उल्लसित सदा हो उर अंतर
राष्ट्र चरण में हो अभ्यर्पण
सकल मनोरथ करें समर्पण
दुर्बल जन का सदा त्राण हो
परहित में उत्सर्ग प्राण हो

ऐसा वर दो हे हनुमान

पवन तिवारी
सम्पर्क – 7718080978

poetpawan50@gmail.com

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें