यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 20 जून 2017

मेरा बुरा है वक्त मगर मैं बुरा नहीं.

मेरा बुरा है वक्त मगर मैं बुरा नहीं.
तूँ जानता है दोस्त मैं इतना बुरा नहीं.

जब से है वक्त बदला तब से हुआ बुरा.
पहले कहा किसी ने मुझको बुरा नहीं.

बदले मेरे हालात तो सब ही बदल गये .
सब चाल वक़्त की है कोई बुरा नहीं.

तूनें जो कसे तंज़ वो हालाते – वफ़ा है.
हालात का है खेल यार तूँ बुरा नहीं.

जो वक़्त हुआ अच्छा तो सबकी नज़र बदली.
कहते हैं सभी अच्छा ‘पवन’ बुरा नहीं  .

पवन तिवारी
सम्पर्क- 7718080978


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