यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 16 फ़रवरी 2017

देश प्रेम























प्यार पर बात करना सहज है मगर 
देश पर बात करना समझ -बूझकर
प्यार तो दो दिलों का ही बस खेल है 
देश का खेल तो करोड़ों आन है 

प्यार में मर मिटेंगे तो दो जान ही 
देश पर तो शहीदों की गिनती नहीं 
प्यार दो लोगों का आपसी प्रेम है 
देश से प्रेम १८५७ है 

मानता हूँ कि पावन बहुत प्रेम है 
प्रेम का रूप राधा व मीरा भी है 
देश से प्रेम उद्दात और श्रेष्ठ है 
चंद्रशेखर भगत सिंह व सुखदेव है 

इनकी पावनता गंगा से कम है नहीं 
देश के गर्व हैं देव से कम नहीं 
प्रेम करना ही है देश से फिर करो 
ऐसे ही प्रेमियों की जरूरत भी है 

लैला मज़नू से बनता नहीं देश है 
देश बनता है तो घोष और बोस से 
प्यार में मरना यदि है जरुरी सनम 
तो मर जाइए फिर वतन के लिए .

poetpawan50@gmail.com

सम्पर्क- 7718080978

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