यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शुक्रवार, 16 दिसंबर 2016

जिन्दादिली

                               
  
                               गज़ल



खाली बैठे से है अच्छा कि कुछ किया जाए. 
किसी बीमार को कुछ देर हंसाया जाए. 

उम्र लम्बी है जिन्दगी छोटी.
लम्हा-लम्हा किसी दीवाने सा जिया जाए. 

रोने के वक्त बहुत आये,बहुत आयेंगे. 
चलो फिलहाल छोटी खुशियों से मिला जाए. 

कल क्या होगा,जो होगा,होगा ही. 
सोंचकर आज को बर्बाद क्यों किया जाए. 

चलो छोडो न सोचो, फिजूल की बातों को.
कौन सा दिन हो आख़िरी,जी भर जिया जाए.


poetpawan50@gmail.com
सम्पर्क-7718080978

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें