यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शनिवार, 10 सितंबर 2016

चवन्नी का मेला: आइये जाने फिर क्या हुआ...? जब दैत्यगुरु शुक्राचार...

चवन्नी का मेला: आइये जाने फिर क्या हुआ...? जब दैत्यगुरु शुक्राचार...: आइये आज एक अद्भुत एवं अनोखी पौराणिक कहानी मेरे साथ ,मेरे शब्दों में पढ़िए...  एक समय ऐसा आया. जब दैत्य गुरु शुक्राचार्य की बेटी और देव गुरु...

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