यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शुक्रवार, 17 जून 2016

पिता























पिता इतिहास है  भूत का , 
वर्तमान का और भविष्य का भी

जीवन का नागरिक शास्त्र है ,
 भूगोल है , प्राथमिक विज्ञान है

पिता  नीति है , संस्कार है , 

अपराजेय योद्धा है , मित्र है , 

मार्गदर्शक है ब्रम्हांड है, गुरु है, 
धर्म है , शास्त्र हैं, ब्रम्हास्त्र है ,

 पिता हमारी  अभिलाषा का अक्षय पात्र है ,

आकाश है , धरा है, कल्पवृक्ष है, 

अशोक है , अलादीन का चिराग है ,
पिता जीवन का ज्योतिष है

शरीर की आत्मा है ,
मूलांक है , भाग्यांक है, 

पिता जीवन का ज्योतिष है

निर्माता है , पालक है ,स्नेह है ,

 करुणा है ,  प्रेम है
पिता शिव का तीसरा नेत्र है

poetpawan50@gmail.com

सम्पर्क-7718080978

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