बुधवार, 9 अक्तूबर 2024

धान होती हैं बेटियाँ




बेटियाँ एक घर में

पैदा होती हैं और ,

एक उम्र होने पर

दूसरे घर में

रोप दी जाती हैं ;

ठीक धान की तरह !

सूखे वाले क्षेत्र में

लोग नहीं ब्याहते बेटियाँ ,

और लोग

नहीं रोपते धान !

आज कल कहीं भी

पड़ जाता है अकाल ,

सारा श्रम

दम तोड़ देता है !

लुटेरा इंद्र जैसे लूटा था

अहल्या को; आज भी

लूट ले रहा है ,

भरे दिन, दोपहरी ,

धान को, बेटियों को !

ओह, दिन दहाड़े

कोई है... जो दे सके शाप ;

उठा सके गोवर्धन !

 

पवन तिवारी

१८/०८/२०२१

परिष्करण ९/१०/२०२४

   

 

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