यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 22 जून 2022

प्यार की भूख

प्यार  की  भूख  बढ़ती  जा  रही है

मेरी  दुनिया  उजड़ती  जा  रही है

ज़िन्दगी  को  पकड़ना  चाहता था

मगर वो तो फिसलती  जा  रही है

 

मेरी   किस्मत  पलटती  जा  रही है

ज़िन्दगी  बस  बिखरती  जा  रही है

उसे  इक  प्यार का रुक्का मिला क्या

दिन ब दिन बस निखरती जा रही है

 

रोज  मर  के   भी   नहीं  मरता  हूँ

जतन  जीने   के   बहुत   करता  हूँ

जीने   मरने   के  बीच   झूल  रहा

खुद  की  आँखों  से  रोज झरता हूँ

 

प्यार  जब   से  हुआ  बर्बाद  हुआ

लोग  कहते  हैं  कि  आबाद  हुआ

प्यार  सबसे   बड़ा  नशा  जग में

बाद  होके  भी   मैं  नाबाद  हुआ

 

पवन तिवारी

०३/०९/२०२१  

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