गुरुवार, 27 जुलाई 2017

दोस्त जिनको तुम अब तक समझते रहे






























दोस्त जिनको तुम अब तक समझते रहे 
दुश्मनी आड़ में वे ही करते रहे
जिनको समझा था तुमने प्रशंसक हैं वे
मुखर आलोचना वे तो करते रहे

जिनकी खातिर किये कोशिशें थे बहुत
जिनकी खातिर लड़े थे तुम अपनों से भी
जिनपे तुमको भरोसा हुआ था बहुत
जब वो टूटा तो आँसू गिरे भी बहुत

जैसा हम चाहते वैसा होता नहीं
जैसा हम सोंचते वो भी होता नहीं
अपनी सोंचो के विपरीत भी सोंच है 
मानते इसको तो दुःख होता नहीं

 जो भी होगा उसे भोग लेंगे सहज
कर्म के पथ पर बढ़ते रहेंगे सहज
फिर तो आनन्द आएगा स्व ही सहज
वरना दृग में भी आयेंगे आँसू सहज

पवन तिवारी
सम्पर्क – 7718080978
Poetpawan50@gmail.com




मंगलवार, 25 जुलाई 2017

तेरे हुस्न को गुलाब समझनें लगे हैं


तेरे हुस्न को गुलाब समझनें लगे हैं
सनम अब तो वो तुम पे मरने लगे हैं
तुमसे मिलने के जतन करने लगे हैं
सनम आज-कल वो भी सँवरने लगे हैं

तेरे इश्क का ऐसा जादू चढ़ा है
सनम प्यार के गीत गाने लगे हैं
तुम मिलोगी या ना रब जानता है
तुम्हें पाने की चाहत करनें लगे हैं

ना मिली तो उनका हाल क्या होगा
बड़ी बे मुरव्वत तुमपे मरने लगे हैं
तुम्हीं चाँदनी हो, तुम्ही उर्वशी हो
तुम्हारी इबादत ही करने लगे हैं  


पवन तिवारी
सम्पर्क – 7718080978
Poetpawan50@gmail.com


जुल्फों को झटको जो सनम काली घटा घिर आये







































जुल्फों को झटको जो सनम काली घटा घिर आये
जो भी तुमको देखे सनम उसका दिल तुम पर आये
इक-इक अदा है जानलेवा किस-किस अदा का नाम लें
नहा के जब आती हो सनम तो लगे के ज्यों सावन आये


आज-कल तो रात में तारे भी नहीं निकलते हैं
चाँद भी अब सोंच में है आये या कि ना आये
रात भी खुश है अब नई चाँदनी पाकर
जुगनूँ भी अब चाहें रानी नई आये


सारे नज़ारे बदले हैं ऐसा तुम्हारा ज़लवा है
क्या फर्क तुमको है अब हम आयें या ना आयें
जिसके चाहने वालों में जुगनूँ भी शामिल हैं
उसके हुस्न,जवानी पे कैसे सनम ना दिल आये
  
पवन तिवारी
सम्पर्क – 7718080978

poetpawan50@gmail.com

रविवार, 23 जुलाई 2017

मोहब्बत की पहली कहानी नई थी।






















शहर में मैं आई तो जवानी नई थी।
मोहब्बत की पहली कहानी नई थी।


बर्बाद हो जाऊंगी ना पता था।
चढ़ी यह जो मुझ पर खुमारी नई थी।


 बड़ी नाजों से मेरी इज्जत उतारा।
 धोखे की प्यारी कहानी नई थी।


बहुत रोई - धोई न उससे मिलूँगी
मैं फिर भी मिली मजबूरी नई थी । 


पोछे थे आंसू , की प्यारी सी बातें।
उसकी चालाकियों की कहानी नई थी।


चला यूं ही कुछ दिन मोहब्बत का किस्सा
फिर मां से मिलाने की चालें नई थी। 


जिसे अपनी मां कहकर मिलवाया उसने।
खिलाड़ी थी पक्की नहीं वो नई थी।


मैं तब से यही हूं कभी वो ना आया ।
कोठा था ये इसकी रस्में नई थी।


सभी कहते मुझको यही चाहिए बस।
शोर था कि कोई माल आई नई थी।


 बड़ी  चीखी- चिल्लाई रोइ थी मैं भी।
 कराती वो चुप कहती मैं भी नई थी ।


रौंदने के लिए मुझको बारी लगी थी
मर रही थी मगर चर्चा थी मैं नई थी।


 6 महीने में ही लाश मैं बन चुकी थी।
बहुतों की खातिर अभी भी नई थी ।


आगे की दास्तां अब मैं कह ना सकूंगी ।
पागल हो जाऊंगी सुनो, मैं नई थी, नई थी ।


पवन तिवारी
poetpawan50@gmail.com
संपर्क;7718080978

शुक्रवार, 21 जुलाई 2017

प्यार चाहें सभी पर निभाना नहीं





प्यार चाहें सभी पर निभाना नहीं
पूछिये सच तो सब हवस का खेल है
प्यार से तो कोई देखता ही नहीं
आरजू सबकी नज़रों में हासिल की है

खुद को कोई लुटाना नहीं चाहता
प्यार की आड़ में और कुछ चाहता
जुबाँ बोले है कुछ और दिल में है कुछ
ऐसों का क्या भरोसा कि क्या चाहता

प्यार विश्वास की नाज़ुक डोर है
प्यार के नाम पर ही बड़ा शोर है
प्यार तो शान्ति एकांत के मोड़ हैं
गंगा यमुना के ये पावन छोर हैं


पवन तिवारी
सम्पर्क – 7718080978

Poetpawan50@gmail.com

बुधवार, 19 जुलाई 2017

माँ शारदे ,वागीश्वरी,वाणी मृदुल कर दे




माँ शारदे ,वागीश्वरी,वाणी मृदुल कर दे 

आवेश में भी,प्रेम से मैं , कह सकूँ वर दे 

माँ भारती, वाचा, इला,सद्मार्ग पर कर दे
हो धैर्य, आये नम्रता, सच कह सकूं वर दे  

माँ विमला,भाषा,विधात्री उर का तमस हर ले 
रहूँ धर्म पथ पर मैं अडिग , संकल्प का वर दे 

माँ ब्राम्ही,वीणाधारिणी मन राष्ट्र से भर दे 
राष्ट्र के खातिर निछावर , हो सकूँ , वर दे 

और कुछ इच्छा नहीं ,बस इतना सा कर दे 
तुझसे विमुख ना हो सकूँ, ये आख़िरी वर दे .

पवन तिवारी 

सम्पर्क -7718080978

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मंगलवार, 18 जुलाई 2017

प्रेम रोग





होंठ का ज़ादू तेरा तकता इधर 
हो गया जादू मैं अब जाऊं किधर 
तेरे अधरों पर थिरकना चाहता हूँ 
चाहतें लेकर ये जाऊं मैं किधर 

चाल में तेरे भी इक संगीत है 
कमर का बलखाना भी इक गीत है 
पैजनी से स्वर निकलते जो तेरे 
दिल कहे कि थाम लो ये प्रीत है 

उम्र है आवारगी की, प्यार की 
है जरूरत तुमको सच्चे प्यार की
वरना तुम बर्बाद होके भटकोगे
तुमको है दरकार सच्चे प्यार की 

वो दिखी जो,वो मिली जो,ये भी कुछ संयोग है 
कौन जाने प्रेम होने का तुम्हारा योग है 
हम सफ़र बनाने का मौक़ा है मिला 
मार दो चौका अजब ये रोग है  

पवन तिवारी 
सम्पर्क -7718080978
poetpawan50@gmail.com 

रविवार, 16 जुलाई 2017

हर कोई चाहता है प्रशंसा यहाँ


















हर कोई चाहता है प्रशंसा यहाँ
सुनना चाहे न कोई भी आलोचना
जो करे न प्रशंसा या आलोचना
उसकी भी कोई कीमत नहीं है यहाँ

हर जगह टोलियाँ,हर जगह गुट ही गुट
स्वार्थ चाहो तो टोली या गुट में रहो
वरना यूं ही बहिष्कृत अछूते रहो
प्रतिभा की पोटली सर पे ढोते रहो

यूँ अकेले भी चलना है आसाँ नहीं
खुद से खुद बातें करना भी आसां नहीं
जीने का गर अकेले हुनर आ गया
फिर तो उसके लिए कुछ असम्भव नहीं


पवन तिवारी

सम्पर्क- 7718080978
poetpawan50@gmail.com

शुक्रवार, 14 जुलाई 2017

बिनु हरि भजे न मैल मिटेगा














































बिनु हरि भजे न मैल मिटेगा
बिनु गुरु ज्ञान न तमस मिटेगा

जो मन भाव रहे सोई पाए
छल कीन्हे विश्वास मिटेगा  

हरि को हरि का सौंप रहेगा
सुख आयेगा दुःख ही मिटेगा

खुद को समर्पित करे जो हरि में
उसका नाम न जग से मिटेगा

बिनु कछु लोभ करे जो कर्मा
मिल माटी पर यश न मिलेगा

हरि शरणम् जो जाए ‘पवन’
वो प्रहलाद सा नहीं मिटेगा

पवन तिवारी

सम्पर्क -7718080978

poetpawan50@gmail.com

गुरुवार, 13 जुलाई 2017

आइये-आइये, बस चले आइये




आइये-आइये, बस चले आइये

आप आयेंगे संग, सारा जग आयेगा
स्वर बिखेरेंगे जब,प्रेम के राग का
प्रेममय सारा अंचल, ये हो जाएगा

स्वर के इस धाम में, दिल के इस ग्राम में
शारदा आयेंगी तो, नहीं होगा क्या
सारे परिवेश में, श्लोक ही गूंजेगा
इसका कण-कण भी, देवत्व पा जाएगा

शारदा पुत्र से, इक सदाचारी से
मिलके सबका ह्रदय, हुलसिता जाएगा
ज्ञान संगीत का, आगमन जो हुआ
फिर तो सब पावन-पावन, ही हो जाएगा  

पवन तिवारी
सम्पर्क -7718080978

poetpawan50@gmail.com