शुक्रवार, 21 जुलाई 2017

प्यार चाहें सभी पर निभाना नहीं





प्यार चाहें सभी पर निभाना नहीं
पूछिये सच तो सब हवस का खेल है
प्यार से तो कोई देखता ही नहीं
आरजू सबकी नज़रों में हासिल की है

खुद को कोई लुटाना नहीं चाहता
प्यार की आड़ में और कुछ चाहता
जुबाँ बोले है कुछ और दिल में है कुछ
ऐसों का क्या भरोसा कि क्या चाहता

प्यार विश्वास की नाज़ुक डोर है
प्यार के नाम पर ही बड़ा शोर है
प्यार तो शान्ति एकांत के मोड़ हैं
गंगा यमुना के ये पावन छोर हैं


पवन तिवारी
सम्पर्क – 7718080978

Poetpawan50@gmail.com

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