यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

सोमवार, 1 दिसंबर 2025

पवन तिवारी के दोहे


 

कलयुग निज हित देखता, पाप पुण्य बेकार!

जो यह सब है देखता,  उसपे  पड़ती  मार!!

 

जो जीवन में सत्य का, लिए पताका हाथ!

सबसे पहले आपने,  छोड़ें  उसका  साथ!!

 

पोथी महती चीज है, पर  व्यवहारिक ज्ञान!

बिन अनुभव के हो नहीं,सफल कोई विज्ञान!!

 

जिसके उर में डाह हो, मुख छाए संतोष!

उसके जीवन में सदा, फलता रहता दोष!!

 

अपने श्रम की आये से,मिले भले इक कौर!

किन्तु पाप की आय से, फले वंश ना बौर!!

 

जिसका पति कोइ ओर हो,प्रेमी हो कोइ ओर!

उसके जीवन में सदा, रहता  दुःख  का ठोर!!     

 


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