कलयुग
निज हित देखता, पाप पुण्य बेकार!
जो
यह सब है देखता, उसपे पड़ती मार!!
जो
जीवन में सत्य का, लिए पताका हाथ!
सबसे
पहले आपने, छोड़ें उसका साथ!!
पोथी
महती चीज है, पर व्यवहारिक ज्ञान!
बिन
अनुभव के हो नहीं,सफल कोई विज्ञान!!
जिसके
उर में डाह हो, मुख छाए संतोष!
उसके
जीवन में सदा, फलता रहता दोष!!
अपने
श्रम की आये से,मिले भले इक कौर!
किन्तु
पाप की आय से, फले वंश ना बौर!!
जिसका
पति कोइ ओर हो,प्रेमी हो कोइ ओर!
उसके
जीवन में सदा, रहता दुःख का ठोर!!
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