तू
किसी और की हो गयी
ज़िन्दगी
यूँ लगी खो गयी
था
लगा तेरे बिन कुछ नहीं
तू
गयी ज़िन्दगी तो गयी
स्वप्न
की रागिनी सो गयी
कीमती
सबसे जो खो गयी
कुछ
दिनों तक चला सिलसिला
वक्त
की चाल सब धो गयी
कोई
पूछे कहाँ को गयी
मैं
भी कह दूं गयी तो गयी
अब
पुरानी कहानी सी है
बात
आयी गयी हो गयी
लगता
है अच्छा अब जो गयी
प्रेम
का रंग सब धो गयी
फिर से यात्रा सुघर है हुई
अब
कहानी सही हो गयी
पवन
तिवारी
१५/१०/२०२५