मंगलवार, 30 अप्रैल 2024

दुःख इतना कि कहा नहीं जाता





दुःख इतना कि कहा नहीं जाता

इतना  दर्द  सहा  नहीं  जाता

ऐसे   में   अवलम्ब   कोई

जय  हनुमान  यही  मुख आता

 

तुलसी  के  पथ  आप प्रदर्शक

नीम  करोली  के  सब  दर्शक

देव   देवियाँ   जाने   कितने

आप  ही  भटकों  के दिग्दर्शक

 

एक  आप  कलयुग के स्वामी

दीन  दयाल   हो   अन्तर्यामी

सिद्धि सफलता के  प्रभु दाता

भय  खाते  कपटी, खल, कामी

 

मारुती   नंदन   हे   बजरंगी

निर्बल  निर्धन  के  प्रभु  संगी

कृपा आप की सब दुःख हर ले

नमो  नमो   हनुमत  बजरंगी

 

पवन तिवारी

३०/०४/२०२४    

 

रविवार, 28 अप्रैल 2024

ध्वंस हुए हैं मानवता



ध्वंस  हुए हैं मानवता  के मानक सारे

अब के सम्बन्धों में ज्यादा कंस हुए हैं

बातों का है मूल्य जुगाली जितना केवल

नैतिकता के  पहलू  तो निरवंश हुए हैं

वे केवल  कहने  भर को बस मानव हैं

निकट से देखो सब दानव के अंश हुए हैं

 

जो निकृष्टता के मानक पर ऊँचे हैं

राजनीति के वे सशक्त स्तंभ हुए हैं

जो थोड़े में भी, थोड़े से   नैतिक थे

उनके थोड़े बचे मोह भी भंग हुए हैं

जो हैं लालच, झूठ, कपट से भरे हुए

राजनीति के सबसे भारी अंग हुए हैं

 

जल जंगल से साथ हवा भी बिगड़ी है

इनसे जाने  कितने  दुर्व्यवहार हुए हैं

ये  मत  पूछो  मर्यादा  कितनी टूटी

उससे ये सब जाने कब के पार हुए हैं

जिन पर  रहा  भरोसा  वे पहले लूटे

कैसे  कहूँ  कि  ऐसे  पहरेदार हुए हैं   


पवन तिवारी

२८ /०४/ २०२४

गुरुवार, 25 अप्रैल 2024

आयु कोमल तेज भारी




आयु  कोमल  तेज भारी

खड्ग जैसी है  दो  धारी

व्याधि  के  हैं  वज्र बरसे

नीच   ग्रह  दे  रहे  गारी

 

पाप   हैं   प्रारब्ध   के सब

ले  रहे   प्रतिशोध  हैं अब

ऋण पुराना किंतु ऋण है

गणित इसका छोड़ता कब

 

छिटकते   संबंध  हैं  सब

टूटते    अनुबंध   हैं  सब

रक्त भी विघटित दिशा में

छिन्न लज्जित बंध हैं सब

 

वेदना   में   हँस   रहा  हूँ

स्वयं को  ही  डँस रहा हूँ

अग्रसर हूँ मुक्ति पथ  पर

लोग  समझे  फँस रहा हूँ

 

धर्म  के पथ  चल रहा हूँ

पांडवों  सा  गल  रहा हूँ

मैं  सनातन का हूँ मानक

धर्म   जैसा   पल  रहा हूँ

 

पवन तिवारी

२५/०४/२०२४    

 

सोमवार, 15 अप्रैल 2024

हमारे राष्ट्रीय प्रतीक


 

 

 


राजू  बोले  मुन्ना  भइया

भारत की पहचान है क्या

मुन्ना बोले  सुन लो राजू

भारत माँ की शान है क्या

 

तीन रंग  से रंगा तिरंगा

भारत  की   पहचान  है

चक्र सुशोभित मध्य में उसके

समय  का  देता ज्ञान है

 

राजू  बोले   मुन्ना  भइया

भारत के प्रतीक क्या-क्या हैं

जिसे गर्व से सब मिल गाएं

उन्हें बताओ वो क्या-क्या हैं

 

मुन्ना बोले  सुन  लो राजू

भारत का प्रिय गान है क्या

भारत का प्रिय गीत बताऊँ

उसकी  अपनी आन है क्या

 

एक ही स्वर में गाता भारत

जन  गण  मन वह गान है

गीत जिसे  सुन झूमें भारत

वन्दे   मातरम   तान   है

 

नृत्य करे  जो सबसे सुंदर

जो गिरधर के भाल पे भाये

ऐसा  मोहक  मोर  हमारा

राष्ट्रीय   पक्षी   कहलाए

 

राष्ट्र पुष्प है कमल हमारा

जो देवों  को  सबसे प्यारा

जिसमें गति,लय,शक्ति अपरमित

वह राष्ट्रीय पशु बाघ हमारा

 

फलों का राजा आम कहाता

वही  हमारा राष्ट्रीय फल है

वृक्षों  में  विशाल बरगद ही

राष्ट्रीय वृक्ष गर्व पल पल है

 

राजू  बोले   मुन्ना  भैया

पता  आप को इतना कैसे

कौन बताता आपको यह सब

याद भी  रहता इतना कैसे

 

मुन्ना बोले  राजू  बाबू

भोर में उठकर पढ़ता हूँ

नहीं समझ पाता हूँ जो भी

दादा  जी  से  पढ़ता हूँ

 

दादा जी कहते हैं मुन्ना

ध्यान लगाकर पढ़ा करो

रटने भर से बात न बनती

सोच-सोच  कर पढ़ा करो


राजू तुम भी करोगे ऐसा

या द रहेगा  मेरे  जैसा

कैसे याद है रहता इतना

प्रश्न  नहीं  पूछोगे ऐसा 

 

पवन तिवारी

०८/०४/२०२४

 

शुक्रवार, 5 अप्रैल 2024

सुबह-सुबह की धूप निराली

सुबह-सुबह की धूप निराली

बदन को  देती  पोषक भारी

आओ सब मिल धूप सेंक लें

सबका  हित  है कर लें यारी

 

आओ सुबह सुबह हम टहलें

शीतल  मंद  हवा संग बह लें

शुद्ध  हवा  भी  देती  पोषण

ऐसे   वातावरण   में  रह  लें

 

सुबह में दौड़  लगाओ भाई

बदन को मिलती फुर्ती भाई

खेल - कूद  भी बड़े जरूरी

स्वास्थ्य को देते शक्ति भाई

 

सुबह-सुबह का दृश्य मनोहर

प्रकृति  हो  गाती  जैसे सोहर

जल्दी  सोना  भोर  में उठना

अच्छे   जीवन  की  है  मोहर

 

पवन तिवारी

०५/०४/२०२४