बुधवार, 31 अगस्त 2022

डाही व्यक्ति की छाया से भी

डाही  व्यक्ति  की  छाया से भी

बचकर  रहने  में  ही   हित  है

उनसे  तर्क   बहस  ना  करिए

कलुषित उनका तन व चित है

 

प्रतिभा से  कई  बार  अकारण

जलने   वाले    रहते    जलते

विष  से  भरे  लोग  जीवन में

निज विष से ही सहज हैं  गलते

 

गुणी   जनों    के    बारे   में

अक्सर  प्रवाद   फैलाते   हैं

प्रतिश्रुत होकर बड़े लगन से

निज  को  हानि  पहुँचाते हैं

 

निज  को  एक  निरंतर औषधि

करो परिष्कृत निज प्रतिभा को

बिन  प्रयास  के  ही  जग देखे

अद्भुत तुम्हरी इस आभा को

 

इतने ऊँचे उठो  कि सर पर

कोई   पंक     फेंक   सके

यदि कोई  दुस्साहस कर दे

उसको  ही   आन  लगे

 

पवन तिवारी

२९/०८/२०२२  

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