बुधवार, 27 जुलाई 2022

देख रहे हैं हम भी सपने

 

देख  रहे  हैं   हम  भी  सपने

औरों   सा   पूरा   करना  है

कर्म  प्रधान तो  प्रभु बोले हैं

करो कर्म फिर क्या डरना है

 

जिनके   सपने  सत्य  हुए हैं

उनसे  बस  साहस लेना   है

शेष तो अपनी मेहनत के बल

औरों   को   संबल  देना  है

 

गीले   नैनों   में   खुशहाली

के  फिर  पुष्प   खिलाने  हैं

बुझे बुझे कोमल चेहरों को

भी   सम्मान   दिलाने   हैं

 

मान  रहे  हैं, जान रहे  हैं

अपने  भी   दिन  आने  हैं

बस तिथि भर का भान नहीं है

लोग  हमें  भी   गाने   हैं

 

लड़ते - लड़ते   बढ़ते  रहना

हिय   से   हमने    ठाने   हैं

जिनको जो कुछ कहना कह लें

हम  तो  इक  दिन छाने हैं

 

पवन तिवारी

२५/०४/२०२२  

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें