बुधवार, 8 जून 2022

तुमको देखा तर गया

तुमको   देखा तर  गया

लगा कि नेह  झर गया

जो मनोज का था कार्य

दृष्टि भर में  कर  गया

 

अहंकार    डर    गया

रिक्त ह्रदय  भर  गया

प्रस्तर पिघलने  लगा

झरने   के  घर   गया

 

राग  वाले  दर  गया

सारा   मै  जर  गया

हो  गया  नवीन   मैं

जैसे   प्रेम  वर  गया

 

त्रास क्षण में हर गया

भेद  नारी  नर  गया

रोम  तक   प्रसन्न हैं

प्रेम  के   नगर  गया

 

पवन तिवारी

०८/०८/२०२१

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