सोमवार, 6 जून 2022

मेरी अपनी कहानी

मेरी अपनी कहानी खो गयी है

मैं औरों की कहानी पढ़ रहा हूँ

अभी कुछ दिन ही पहले मैं ढहा हूँ

मैं खुद को थोड़ा-थोड़ा गढ़ रहा हूँ

 

झूठ में इतनी शक्ति भान ना था

सो अब बचते बचाते चल रहा हूँ

वो तूफानों का साथी है तो वो जाने

मैं हूँ दीपक सो मध्यम जल रहा हूँ 

 

वो आलीशान जीता है तो अच्छा है

समय के साथ मैं भी पल रहा हूँ

ज़िंदा होना मेरा दे दर्द उनको

गज़ब है उनको इतना खल रहा हूँ

 

तो निश्चित है कि कोई बात होगी

कि आँखों में मैं सबके आ रहा हूँ

मुझे रचना है कुछ इतिहास शायद

तवज्जो  इस क़दर मैं पा रहा हूँ

 

 

जो पहले है तय होगा वही अब

और गति को बढ़ाता जा रहा हूँ

तुम्हें डर रौशनी से है समझ आया मेरे

लो मैं सूरज सुबह का ला रहा हूँ

 

पवन तिवारी

२९/०७२०२१     

 

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