वह मेरी हत्या करना चाहता था
मगर
युक्ति से 
ताकि
मुक्त रह सके 
बाहरी
दुनिया के आरोपों से 
वह
मेरी प्रतिभा, कौशल,साहस
और
धैर्य पर चला रहा था 
छोटे-
छोटे हथौड़े 
चुभाता
था बारीक सुइयाँ 
उसे
पूरी उम्मीद थी 
मैं
स्वयं की कर दूँगा 
स्वयं
हत्या !
किन्तु
उसकी आशा के विपरीत 
मैं
और, और ज्यादा
मज़बूत
हो रहा था ;
वह
झुँझला गया था 
उसकी
झुँझलाहटें वास्तव में 
मुझे
ज़िंदा देखने वालों की
आशीष
व मंगलकामनाएं  थीं .
हजारों
उम्मीदें मेरे साथ थीं 
बस
! उसकी एक उम्मीद के विरुद्ध 
मुझे
लगता है 
बस,
इसीलिये ईश्वर ने 
मेरे
ज़िंदा रहने के पक्ष में 
सुनाया
है निर्णय ! ताकि 
उन
हजारों उम्मीदों  को 
दे
सकूँ शब्द!
हत्या
से बड़ा शब्द है जीवन !
पवन
तिवारी 
१६/०२/२०२१
वसंत
पंचमी 
 
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