मंगलवार, 22 मार्च 2022

यादों में जवानी है

यादों में जवानी है

तेरी उसमें कहानी है

जब भी उसमें डूबूँ

पानी सी रवानी है

 

 

यादों में  मिले हँसता

जैसे  सुंदर  सा बस्ता

वो प्यारा सी डिम्पल

था गालों  में  धँसता

 

जब भी दिल दुखता है

दिल  मुझसे  कहता है

मैं  प्यार  करूँ तुझको

तू  दवा  सा  रहता है

 

जब प्यार की बातें हों

कुछ  धुन  में गाते हों

तू बरबस याद आये

जब सर्द सी रातें हों

 

तू ना होकर  भी है

पाया खोकर भी है

तेरे प्रेम की स्मृति में

हँसना रोकर भी है

 

पवन तिवारी

०५/०२/२०२१

 

नयी चुनौती रोज है आती

नयी चुनौती रोज है आती

नये – नये  किस्से बतलाती

हम उसमें उलझे रहते हैं

तब तक नयी कहानी लाती

 

ठोकर  देकर  है  समझाती

क्षणिक ख़ुशी देकर इठलाती

अक्सर चक्रव्यूह  रचती है

फँस जाने पर मगन हो जाती

 

बुनते  रोज  नये  सपने   हैं

उन्हें  तोड़ते  जो  अपने  हैं

फिर भी होनी  होकर रहती

छप ही जाते  जो छपने हैं

 

जीवन रोज अचम्भित  करता

नये – नये  वो  रंग  है भरता

उसे देख मोहित  हो जाते

यहीं से जीवन में दुःख झरता

 

फिर भी हर कोई जीना चाहे

यहाँ न कोई मरना चाहे   

सबको खाली हाथ है जाना

फिर भी सब कुछ भरना चाहे

 

पवन तिवारी

२५/०३/२०२१

गुरुवार, 10 मार्च 2022

इस राजनीति की नीति

इस राजनीति की नीति बहुत खलती है

अब भारत की कोमल आशा जलती है

अपनों के कारण उर जब  दग्ध रहा है

कुछ  कहने आ  जाते  प्रारब्ध  रहा है

 

बलिदानों की पीठ पे जो हँसकर चढ़ते

निश्चित कलंक के दलदल में हैं वे धँसते

इतिहास के पन्नों में वे काले होते हैं

अपने ही वंशज से धिक् धिक् होते हैं

 

भुज के बल से मन के बल से चलना होगा

गंगा की पावन कल-कल सा बहना होगा

लेकर प्रकाश हम सविता से अधिंयारा छाटेंगे

निज ओज भरी कविता से हम सन्नाटा काटेंगे

 

जनहित के प्रतिरोधों में हम आगे होंगे

अंधियारों पग कोटि कोटि धम-धम होंगे

इस मिट्टी को शोणित क्या है भाल समर्पित

अपना अखण्ड जय राष्ट्र रहे सब अर्पित है

 

आओ मिलकर तीन रंग का  ध्वज फहरायें

प्रति - प्रति  से  आवाहन है जय जय गायें

हुंकारें  यूँ  भारत  के  स्वर  नभ तक जायें

दिनकर उदगण शशि भी सारे संग संग गायें

 

पवन तिवारी

२/०२/२०२१

 

मन में छल था

मन में छल था सो कमियाँ लगे ढूंढने

डोर   विश्वास   की  ही   लगे  लूटने

 

रूठने फक्त दौलत  की  ख़ातिर  लगे

रिश्ता मतलब का था सो लगा टूटने

 

मैं  तेरा  फ़क्त  था  मैं तेरे  पास था

फासला कर दिया इक  तेरे  झूठ ने

 

ग़ैर को रिश्ते का  था  पता दे दिया

ज़ख्म गहरा  किया  आपसी फूट ने

 

यादों  के  सूखे  से  सारे  पत्ते दिखे

प्यार  के  सारे  किस्से  लगे  छूटने

 

जिसने तोड़ा हो दिल उससे जुड़ता नहीं

एक  हिस्सा  उल्ट  लगता  है  सूखने

 

अर्थ की भूख ने तुझको क्या कर दिया

तेरा हर हिस्सा खुलकर लगा  चीखने

 

सोचे बिन जो किया सो मिला ये सिला

दाग़  तुझको  दिया  तेरी  इक  चुक ने

 

पवन तिवारी

०२/०२/२०२१     

सोमवार, 7 मार्च 2022

व्यक्तित्व

 कई बार आपके नाम से

जुटती है भीड़

कई बार आप के नाम से

नहीं जुटती भीड़

हर किसी के होते हैं

कम या अधिक

अपरिचित शुभचिंतक

या आलोचक

जिनके बारे में

आप कुछ नहीं जानते

परंतु यह आपके जीवन की

सभी सामान्य

कई बार निजी बातें

भी जानते हैं

प्रसिद्ध व्यक्तियों के साथ

प्रायः होता है

यह आप नहीं रचते

इसे रचता है

आपका विचार और

पूर्णता में कहूँ तो

आपका व्यक्तित्व

 

०६/०२/२०२१

पवन तिवारी

प्रेम में विक्षिप्त

मैं जो कहने जा रहा हूँ

वह बहुत आसान बात है

पर आसान बात

कोई समझना नहीं चाहता

इसीलिए प्रेम का आरंभ

हमेशा गलत होता है

हर किसी के अंदर

प्रेम है किंतु

वह दूसरे से करता है

बहुत लोग अपना प्रेम यूँ ही

दूसरे के द्वार पर

छोड़ आते हैं

क्या पता कर ले कभी स्वीकार

कई बार जब प्रेम

अस्वीकार कर दिया जाता है

या सौंपे हुए प्रेम के बदले

मिलता है छल या अपमान

ऐसे में सामने दिखाई देते हैं

दो मार्ग !

एक स्वयं को कर लेना खत्म या विक्षिप्त

दूसरा स्वयं को प्रेम करने का आरंभ

अपना प्रेम पहले स्वयं को

यदि कर सके समर्पित तो

आप प्रेम में कभी विक्षिप्त नहीं होंगे !

 

 

०३/०२/२०२१

 

पवन तिवारी

 

शनिवार, 5 मार्च 2022

पुण्य अपराध

बंगाल के अकाल में

युवतियां भी अनजाने

पुरुषों के साथ

हुई हम बिस्तर

वह कहीं भी बलात्कार में

दर्ज नहीं है

घर में कई दिन तक

चूल्हा नहीं जलने पर

माँ ने बेंच दी

अपनी इकलौती बेटी

नहीं बना कोई

बाल व्यापार का केस

क्या इससे बड़ी

निर्दयता देखी है

नहीं! तो भूख की

मौत या हत्या का

अपराध करने का पुण्य

कमाना चाहिए क्या  ?

पवन तिवारी

३१/०१/२०२१ 

प्रेम में मृत्यु की सम्भावना

प्रेम में मरने की संभावनाएं

हमेशा बनी रहती हैं

इसलिए जब भी

करो किसी से प्रेम

तो स्वयं को सौंपना मत

पूरा का पूरा

क्योंकि छले जाने पर

मर जाओगे

इसलिए थोड़ा सा

स्वयं को बचाए रखना

ताकि डूब की तरह

फिर से पनप सको

और हो सको फिर से हरे

फिर से बन सके

प्रेम की संभावना  

क्योंकि

मरना अंतिम सत्य है !

 

पवन तिवारी

०१/०२/२०२१

शुक्रवार, 4 मार्च 2022

भेद

स्त्री और पुरुष दोनों ही

मुग्ध अथवा आकर्षित होते हैं

स्त्री पर,

विशेष कर पुरुष स्त्री के

मुख और स्तन पर

होता रहता है मुग्ध

यह सहज है क्योंकि

जब जन्मता है वह

उसका प्रथम परिचय

एक स्त्री के चहरे

और पोषण के लिए

स्तन से होता है

यह पवित्र सम्बन्ध

जब टूट जाता है वर्षों तक

फिर विकृत होकर

बनता है

एक आकर्षक, आकर्षण !

स्त्रियाँ भी सर्वाधिक अपने इन

दो पवित्र अंगों पर होती हैं

मोहित ! बस होती नहीं चर्चा

 

पवन तिवारी

०७/१०/२०२१