सोमवार, 31 जनवरी 2022

बात अच्छी न अधूरी रखना

बात अच्छी न  अधूरी  रखना

देखो सच को न देर से कहना 

 

अब तो रिश्तों में भी ज़हर मिलता

रिश्ते  से  पहले  ही  ज़रा चखना

 

आज - कल कुछ भी नहीं स्थायी

अपने दुश्मन से भी मिलते रहना

 

दूसरों की ख़ुशी सजाओ मगर

ख़ुद की ख़ातिर भी कभी ख़ुद सजना

 

बजे अपनों के लिए कोई बुरी बात नहीं

मगर घुँघरू सा कभी मत बजना

 

मरो  तो  राष्ट्र  विश्व  गर्व करे

एक लड़की के लिए मत मरना  

 

पवन तिवारी

संवाद- ७७१८०८०९७८

११/१२/२०२०

लोग छूटेंगे घर भी छूटेगा

लोग  छूटेंगे   घर  भी   छूटेगा

कहोगे सच तो दिल भी रूठेगा

 

जिसको अपना बता के खुश होगे

एक  दिन  वो  ही  तुम्हें  लूटेगा

 

जिसको तुम ग़ैर कहते आये हो

अपनों से पहले तुमको पूछेगा

 

तुम जो माँ बाप को सताओगे

अपना बेटा ही तुमको बूकेगा

 

ज्यादा सहना भी हानिकारक है

एक दिन खुद  पे  गुस्सा फूटेगा

 

पवन तिवारी

संवाद- ७७१८०८०९७८

११/१२/२०२०

 

सुनो तुम यूँ ही अगर

सुनो तुम यूँ ही अगर दिल से दिल लगाओगे

बताऊँ  सच  तो सुनो  धोखे  बहुत  खाओगे

 

मूँद कर आँख जो विश्वास करोगे उन पर

खुलेगा  राज  तो पक्का है कि मर जाओगे

 

अगर ज़िंदा भी रहे  तो  भी  मरे से होगे

बहुत होगा तो फ़क़त पागलों सा गाओगे

 

ये कोई गीत ग़ज़ल  कविता नहीं है साथी

सुनो अमल में कर लो अन्यथा पछताओगे

 

पवन तिवारी

संवाद – ७७१८०८०९७८

०६/१२/२०२०

शनिवार, 29 जनवरी 2022

तुम मुझे चाहने की बात करो

तुम  मुझे  चाहने   की   बात  करो

और दिल में  किसी  की चाह  करो

फरेब ठीक नहीं दिल का मामला नाजुक 

कह दो सच चाह को ही प्यार करो

 

प्यार में झूठ अच्छी  बात  नहीं

ऐसे में चलता लम्बा  साथ नहीं

फरेब प्यार में दोनों तरफ ही दुःख देता

ऐसे रिश्तों को मिलती राह नहीं

 

एक  क्षण  को बुरा  लगेगा मगर

प्यार तुमसे  नहीं  कहोगी  अगर

बाद   में   दिल  तुम्हें   सराहेगा

बोल सच और गयी सच की डगर

 

जैसा  ग्रेटा  ने  किया  मत  करना

जिससे शादी न उससे छल करना

अपने  बच्चों  के  हिस्से  तानें   हों  

गलती तुम ऐसी कोई  मत करना

 

 

पवन तिवारी

संवाद- ७७१८०८०९७८

१०/१२/२०२० 

 

द्वार पर तुम्हरे सदा आता रहा हूँ मैं

द्वार पर तुम्हरे सदा  आता  रहा हूँ मैं

ज्ञान के मोती  सदा  पता  रहा  हूँ  मैं

तुम्हारी महिमा है अनंत अकथ्य माते

किन्तु  दो  वरदान  कि  गाता  रहूँ मैं

 

शांति  का  संदेश  जग को  दे  सकूँ मैं

राष्ट्र  को  उदात्त  गौरव  दे   सकूँ  मैं

भारती के  लाल फिर से जग सकें माँ

ऐसे कुछ  संवाद फिर  से  दे  सकूँ  मैं

 

तिमिर का  फैलाव  होता जा रहा है

सत्य का  अवसान  होता जा रहा है

सत्य के दीपक का मुझको शस्त्र दे दो

धरणी का अपमान  होता जा रहा है

 

छल से पोषित ह्रदय को भी धवल कर दो

चाहता  हूँ  कोंपलों   सा  नवल  कर   दो

मानवीपन जग में फिर से  व्याप्त  हो  माँ

अपने  करुणा  शस्त्र  से तुम कँवल कर दो  

 

 

पवन तिवारी

संवाद – ७७१८०८०९७८

०४/१२/२०२०

 

 

कथ्य बिन क्या कथा

कथ्य बिन क्या कथा

तेरे बिन सब व्यथा

प्रेम को शब्द की है जरूरत नहीं

प्रेम में मौन भाषा की लम्बी प्रथा

 

मौन तेरा प्रिये प्रेम अनुवाद है

एक क्षण देख लेना भी संवाद है

प्रेम भाषाएँ होती अनंत प्रिये

जग में सबसे चटख प्रेम का स्वाद है

 

जो नहीं जानते होते दुश्मन  वही

प्रेम पाते बदल जाता है मन वही

जिसको इसकी लगी,फिर लगी रह गयी

मन रहे दूसरा रहता तन है वही

 

प्रेम ईश्वर की सुंदर प्रथम  भूमिका

प्रेम ईश्वर की पावन परम नायिका

ऐसे में प्रेम का  आओ  आदर  करें

स्वर मिलाओ बनो प्रेम की गायिका

 

पवन तिवारी

संवाद- ७७१८०८०९७८

२८/११/२०२०

गुरुवार, 27 जनवरी 2022

किसी के वास्ते तुम जूझ जाते

किसी  के  वास्ते  तुम  जूझ  जाते

किसी  के   वास्ते  अपना  गँवाते

जरा सी बात पर वो ही बिदकता

कि जिसके वास्ते खुद को  खपाते

 

आज-कल  दोस्ती में  दाग  मिलती

परायों से भी जब तब राग मिलती

जिन्हें समझा  किये  अपने नहीं वो

कभी तो  फूल  ढूंढो  बाग़  मिलती

 

कि अब तो तोल कर रिश्ते चले हैं

सभी अपने  ही तो  ज्यादा खले हैं  

दूर  नजदीक  होना  तय करे धन

कि  जिनसे  कुछ  नहीं  वे जले है

 

गज़ब  संसार  होता  जा  रहा है

आदमी खुद को खोता जा रहा है

आदमी  चाहता  पाना  बहुत है

इसी से  और  रोता  जा रहा है

 

अपेक्षा से अगर तुम बच  सके तो

और इच्छा पराजित कर सके तो

बचोगे दुःख से थोड़ा हँस सकोगे

थोड़ा अपने में  यदि रह सके तो

 

पवन तिवारी

संवाद – ७७१८०८०९७८

२४/११/२०२०

अपनी कहानियों के तो कथ्य बोलते हैं

अपनी  कहानियों  के  तो  कथ्य  बोलते  हैं 

कुछ खुद नहीं है कहना सब तथ्य बोलते  हैं

लहज़ा  बता  रहा  है,  हैं  क्या   बोल  रहे  

इक आप कह  रहे  कि  वो सत्य  बोलते हैं

 

जिनको कहे हैं  स्थिर हर द्वार डोलते हैं

वो आदमी  अलग हैं  चुपचाप बोलते हैं

कुछ को समझने  में लग  जाता ज़माना

सारी ही रस्सियों के कुछ गाँठ खोलते हैं

 

रो - रो के  सही  हाल सुनाते जरुर हैं

आओ कि न आओ जी बुलाते जरूर है

कैसे   भी  हैं, पर  हैं, पक्के   वसूल   के

कि  मारने से  पहले खिलाते  जरुर हैं

 

पवन तिवारी

संवाद- ७७१८०८०९७८

२७/११/२०२०

   

 

सोमवार, 24 जनवरी 2022

भोरे – भोरे खोरिया (अवधी)

भोरे – भोरे खोरिया बटोरे ले दुल्हनियाँ

यही रहिया अइहैं  हमरे परानियाँ

नेहिया बढ्वले जाले असवा क डोरिया

रहि - रहि  रोवैले नइकी दुल्हनियाँ

 

केहू अपने दुलहिन के अइसे बिसरावेला

नइकी दुल्हनियाँ के याद नहीं आवेला

ताजी  पिरितिया  के  कइसे  भुलइनै

दुअरा के सुगना भी तोहै  गोहरावेला

 

परदेश जाके भुला गइनै संइयाँ

कउनो मेम में का उरझा गइनैं संइयाँ

हमरे सिवा कोऊ भावै न उनका

अइसे कइसे हम्मै भुला गइनैं संइयाँ

 

नई रे उमरिया में ठेसियाँ लगल बाटे

संइयाँ से कवनों का दुसरा सटल बाटे

या कि  बिपतिया में गइनै अरुझाई

हियरा से ओहदा न तनको घटल बाटे

 

कुछ त भइल होई अनहोनी घटना

कइसन सहरवा फँसा लेहल पटना

पाटन क देवी मइया सुन ला अरजिया

आइ जावैं कुसल लगल वनकै  रटना

 

पवन तिवारी

संवाद- ७७१८०८०९७८

२०/११/२०२०