मंगलवार, 2 जून 2020

तुझको चाहा था


तुझको चाहा था तुझको चाहूँगा
पर  कोई  वादा  न निभाऊंगा
प्यार  होकर  भी  रहेंगे झगड़े
तेरी  तरह  तुझे   तड़पाऊंगा

प्यार कब  बार - बार होता है
दिल तो बस एक बार खोता है
खोते जो बार-बार दिल अपना
उनमें बस  काम-काम होता है

तेरी   चर्चा   करूंगा  कोसूँगा
तेरे धोखे को  जम के भोगूँगा
दर्द कविता में लिखके तुझपे मैं
खुद को मरने से  सदा  रोकूँग

रो  के  भी  तू रो न   पायेगी
होगी रुसवा  जहाँ भी  जायेगी
तेरे धोखे का फल मिलेगा तुझे
अपने दुःख हँसते  हुए गायेगी

पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८    

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