शुक्रवार, 29 मई 2020

बुरे समय में प्रेम


अच्छे समय में अधिक लोग करते हैं तुम्हें प्रेम !
यह झूठ है सफेद से भी ज्यादा क्योंकि
जितना था मुझे अनुमान वे सारे अनुमान,
ध्वस्त कर दिए मेरे बुरे समय ने।
बुरे समय ने मुझे दिखाया और
उससे भी अधिक जताया ;
जिन्हें मैं अपनी स्मृति पर जोर देकर भी
नहीं पहचान पाया या
मुझे जो नहीं रहे याद, वो भी आये मेरे पास!
जताया अपना प्रेम और मेरे सर पर स्नेह से
स्पर्श हुए आशीष के हजारों हाथ !
मुझे नहीं पता था मुझ में ऐसा भी है विशेष
हां,यदा कदा सोचता अकेले में
मेरे आलोचक बहुत हैं, निंदक और विरोधी भी
किंतु बुरे समय ने,मुझे दुख के समय में
दे दी सुख से हजार गुना खुशी! क्योंकि
मुझे पता चल गया है;
मुझे प्रेम करने वाले अनगिनत हैं ।
अब मैं अपने रास्ते पर और गति से
निश्चिंत होकर, शब्दों के प्रेम में पलता हुआ
कविता के घर जा सकूंगा
निष्कंटक!


पवन तिवारी
सम्वाद -7718080978

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें