क्रोध का  यदि   करो  शमन 
लालच का कर  सको   दमन 
हो जाएगा सहज  ये 
जीवन 
अहं का यदि कर सको हवन
स्व को  छलते   होकर
 क्रुद्ध
सर्वनाश  का  ध्वज   है
युद्ध
युद्ध महामारी  का    द्योतक 
शान्ति  मार्ग  तो  केवल
बुद्ध 
निज  को 
अगर  बचाना  है 
स्व  से 
स्व  तक  जाना है 
निज के अंदर ध्यान
से झाँको
सत  पथ 
पर  यदि आना है
जीवन   एक     परीक्षा  
है 
सुन्दर  दिखती    इच्छा  
है 
यदि होना    उत्तीर्ण तुम्हें तो
गुरु   से  
लेनी     दीक्षा  है 
पवन तिवारी 
संवाद – ७७१८०८०९७८ 
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com 
 
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें