रविवार, 19 अप्रैल 2020

पीड़ा में सुख देती कविता


पीड़ा में  सुख  देती  कविता
अन्धकार  में  जैसे  सविता
समय के  परे  ले  जाती ये
जान ही  ले आगे की भविता

दर्द मेरा आक्रोश  में  सुलझा
हुआ तभी कविता का जलसा
जब – जब  भूखे पेट रहा मैं
तब छलका लेखन का कलसा

संघर्षों  में  ही   लिखता   हूँ
उसमें  मैं  खुद  दिखता   हूँ
मेरे दुःख का  औषधि  लेखन
थोड़ा  खुरदुरा  सा  दिखता हूँ

कविता जैसे  मृत्यु  को डसना
काल के गाल पे खुद को रचना
सबसे कठिन  शब्द से मिलना
जैसे   सुविधाओं   से  बचना

इसका  नाम   क्यों  अक्षर है
होता   नहीं    कभी   क्षर है
वेदों  ने   भी  गायी  महिमा
इसीलिये       प्रणवाक्षर   है



पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com  
   

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