मंगलवार, 23 अप्रैल 2019

प्रेम ही सुख का मूल











प्रेम  ही  सुख  का   मूल   आधार है
बिन   अनुराग  जीवन   निराधार है
इर्ष्या,दुःख,दुश्मनी को गला देता ये
प्रेम ही सच्चे जीवन का व्यवहार है

प्रेम  भी  एक  जीवन का  आहार है
डाह  का  प्रेम ही सच्चा प्रतिकार है
प्रेम बिन जिन्दगी बोझ हो जाती है
प्रेम  हो  साथ जीवन  तो सत्कार है

प्रेम का कोई निश्चित न आकार है
प्रेम  ईश्वर  सा  समझो निराकार है
प्रेम   पावन   दुलारी   सी  सम्वेदना
रूप   मानो तो कृष्णा सा साकार है

प्रेम प्रभु पर भक्तों का अधिकार है
प्रेम  यशोदा  किसन  का दुलार है
प्रेम  के  रूप अर्जुन व द्रोण भी हैं
प्रेम  गोपी  कन्हैया का मनुहार है.



पवन तिवारी

संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com
  



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