सोमवार, 8 अप्रैल 2019

मेरे मन का सूरज


आज सूरज से मिला मेरे मन का सूरज
उससे मिल के और भी हुआ खूबसूरत
आज खुद में देखा एक सुंदर नगर
उसमें मेरी एक पावन सी है मूरत


मैं था बाहर आज जो अंदर गया
सच बताऊँ अपने सच्चे घर गया
सारे साधन हर्ष के उपलब्ध हैं
जो भी था संत्रास सारा मर गया


योग ने मुझको मिलाया ध्यान से
मुक्त उसने कर दिया अज्ञान से
अपनी आभा से मिला ऐसा लगा
निज से मिल लिया क्या मिलें विज्ञान से


जानना निज को तो अंदर से जगो
बाहरी नाटक से निज को ना ठगो
निज को जानोगे तो जग को जान लोगे
सत्य के लिए सत्य के पथ पर लगो


पवन तिवारी
सम्वाद- 7718080978


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें