सोमवार, 8 अप्रैल 2019

राष्ट्र का चिंतन राष्ट्र का वंदन


राष्ट्र का चिंतन राष्ट्र का वंदन राष्ट्र का है शत शत अभिनंदन
राष्ट्र रहेगा तो हम होंगे राष्ट्र तो है मस्तक का चंदन
जो खुद को आगे रखकर के राष्ट्र को पीठ दिखाएं हैं
ऐसे स्वार्थी नीचों के कारण दुश्मन चढ़ आये हैं


मुट्ठी  भर  गद्दारों  ने इतिहास  कलंकित  कर डाला
मुट्ठी  भर  शत्रुओं ने आकर भारत में भय भर डाला
नवभारत  के नए सपूतों  आओ  नव इतिहास लिखें
बैरी  की छाती पर चढ़कर शोणित से नई बात लिखें


वीर  शिवाजी  राणा  झांसी से मिलकर सम्वाद करो
शस्त्र शास्त्र के साथ दुश्मनों का डटकर प्रतिवाद करो
नए काल  में नयी नीति से दुश्मन पर तुम वार करो
राम  नहीं अब  कृष्ण नीति से दुश्मन पर प्रहार करो


यूँ दृष्टांत  करो प्रस्तुत कि काँपे दुश्मन थर थर थर
दृष्टि पड़े तुम पर तो फिर सरपट भागें सर सर सर
गीत भी  गाओ तो उसमें शिव तांडव जैसा भाव रहे
मस्तक खुद ऊँचा हो जाये भारत का सदा प्रभाव रहे


पहले न किसी पर वार करो जो प्रथम मिलो तो प्यार करो
सच  का  सम्मान  सदा  रखना  झूठे पर वज्र प्रहार करो
तुम  जहां  भी जाओ भारत हो रग रग में भारत गान रहे
जब तक शशि उदगण हैं नभ में जय अपना हिंदुस्तान रहे


पवन तिवारी
संवाद ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com

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