कौन कहता तू बस
दीवाना है 
पूरा  का  पूरा  ही  मस्ताना है 
कौन कहता है तेरा
वक्त नहीं 
अभी  तो  उम्र  का  जमाना है 
जलेगा तू  ही  कैसे तय
होगा 
शमा 
 है   तू  कि  परवाना  है 
प्रेम  चेहरे  पे  उतर  आता  है 
और  कहता है तू अंजाना है 
“ऐसा कुछ भी नहीं” धीमे
कहना
प्रेम 
 है   पर   नहीं  
 जताना    है 
प्रेम  पे झूठ
नहीं छिपता पवन 
शर्म  का  
 रंग  तो  पहचाना  है 
पवन तिवारी 
संवाद – ७७१८०८०९७८ 
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com 
 
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