बुधवार, 31 अक्टूबर 2018

तुम आओ तो साथ बने


तुम आओ तो साथ बने
तुम आओ तो बात बने
दिन तो कैसे गुज़र है जाता
तुम आओ तो रात बने

बिगड़ा सारा काम बने
थोड़ा ही सही नाम बने
साहस आ जाता है तुम संग
जीवन पथ तमाम बने

प्रेम संजीवनी प्रेम है अमृत
पंचामृत  में  तो है ये घृत
प्रेम सिखाये  जीने का ढंग
प्रेम बिना नाम का जीवित

इसीलिये मैं तुम संग आऊँ
चाहूँ  प्रेम   तुम्हारा  पाऊँ
मिल जाए जो प्रेम तुम्हारा
तो  मैं धन्य–धन्य हो जाऊँ

ये  अभिलाषा  पूरी   कर  दो
या  स्वप्नों  से  दूरी  कर दो
या फिर प्रणय दान दे दो मुझे
या मुझको तुम मृत्यु का वर दो

पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com

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