शुक्रवार, 25 मई 2018

वक़्त से झगड़ा

























































आज-कल क्या
इधर बहुत दिनों से
चल रहा है मेरा
वक़्त से झगड़ा

सुलह के प्रयास
कर रहा हूँ, निरंतर
किन्तु,सफलता से दूर
कर रहा हूँ इसके
कुछ अनुभव साझा

क्या आप से किसी ने बताया
वक़्त से झगड़ा होने पर
क्या होता है ?
मैं बताता हूँ

वक़्त से झगड़ा होने पर
उन सबसे झगड़ा होने की
बढ़ जाती है संभावना
जिन्हें आप जानते तक नहीं
राह चलते अज़नबी से भी
बस या रेल में भी
अपरिचित यात्री से भी
हो सकता है झगड़ा और हानि
अपनों से तो तय है झगड़ा होना

अचानक आप में
गुणों का लुप्त होना और
कमियों की बाढ़ आ जाना
आप में आ जाना
आत्मविश्वास की कमी,
चिड़चिड़ापन,मित्रों द्वारा
आप के फोन न उठाना
आप के संदेशों के
उत्तर न देना, पर
अपने सन्देश भेजते रहना


अचानक आप की डायरी
या फोन पुस्तिका में
मित्रों की सूची में
केवल नाम नज़र आना
मित्र गायब
आप निहारते रहें फोन सूची को
कि किससे कर सकता हूँ बात


अपनी पीड़ा को साझा
देर तक देखने पर भी
समझ में न आये
सैकड़ों नामों में
एक भी नाम
और एक उमस भरी
लम्बी साँस लेकर
धप से बंद कर देते हैं आप डायरी
और लापरवाही से रख देते हैं
एक तरफ फोन और



आप को सुनायी देती हैं
वातावरण में ऊँघती
आप की आलोचनाएँ
मनहूसियत,उदासियाँ
निकम्मापन और
बहुत सी बुराइयाँ
पर घबराना मत


मेरी बातें याद करना
लाना अमल में
धैर्य,कम बोलना,गुस्से को
मुस्कराहट में बदलना
अपमान को पीना आदि
जरुर बच जाओगे,


जब कभी ,किसी दिन
हो जाए वक़्त से समझौता
और फिर दोस्ती
फिर देखना, बाढ़ सी आ जायेगी
मित्रों की, फिर डायरी खोलना
सारे नम्बर मित्रों के
शुभचिंतकों के ही नज़र आयेंगे
वातावरण में अपनेपन की
गंध महसूस होगी


आप की नेकियों की चर्चा
उफान पर आ जायेगी
सफलता की भी
तब भी धैर्य रखना, कम बोलना
और हाँ इतराना नहीं क्योंकि
वक़्त की दुश्मनी स्थाई नहीं
तो दोस्ती भी स्थाई नहीं


पता नहीं तुम्हें मेरी बातें
ठीक लगी या नहीं
पर कभी शाँत मन से सोचोगे
जरूर सुकून मिलेगा
पूरे आदमी जो बन गये होगे



पवन तिवारी

सम्पर्क ७७१८०८०९७८

poetpawan50@gmail.com


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