शुक्रवार, 25 मई 2018

अपनी उदासियों से मैंने दोस्ती की है


अपनी  उदासियों से मैंने  दोस्ती की है
क्या करूँ जब दोस्तों नें दुश्मनी की है

होता  जो  कोई  ग़ैर तो  ज़वाब देते हम
क्या करें जब दोस्तों ने दिल्लगी की है

फ़ासले भी सिमटे खुद मजबूरियों को देखकर 
कुछ ने झूठी  शान  में  आवारगी  की   है

जो उजालों की हिमायत में किये तक़रीर थे
ऐसों  ने  ही    दिए  बुझाकर  तीरगी  की  है

वो बड़ा  होता है जो अपने समय पर काम दे
छोटे  दीपक  ने   ही   घर   में  रोशनी  की  है



पवन तिवारी

सम्पर्क- ७७१८०८०९७८

poetpawan50@gmail.com

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