सोमवार, 12 अगस्त 2024

दीदी घर भर की प्यारी हैं



दीदी  घर भर  की  प्यारी हैं

सब उनको  आवाज़ लगाते

काम सभी वे हँसकर करती

सब ही  उनसे  लाड लडाते

 

मुन्ना   को   दातून  कराती

दादा  जी  को हैं  नहलाती

दादी  को वो दवा खिलाती

अंदर - बाहर  आती  जाती

 

दिन  में   हैं  विद्यालय जाती

शाम को भागी  भागी आती

बस्ता रखकर बदल के कपड़े

खाना  जल्दी  जल्दी  खाती

 

दिन भर भागा   दौड़ी करती

फिर भी समय चुरा के पढ़ती

कपड़े   जभी   सुखाने   होते

सबसे   जल्दी   सीढ़ी  चढ़ती

 

संझा   में   वे   दीप  जलाती

अंधकार   को   दूर  भागती

गुड़ में थोड़ा चना मिलाकर

संध्या  का  वो भोग लगाती

 

सबकी  हाथ  पाँव हैं दीदी

रौनक  खुशहाली  हैं दीदी

दिन भर जिनका नाम गूँजता

सच  बतलाऊँ   मेरी  दीदी

 

गुड़िया  नाम मेरी दीदी का

गुड़िया     जैसी     दीदी   हैं

दो चोटी पहचान है जिनकी

ऐसी      मेरी        दीदी     हैं

 

पवन तिवारी

११/०८/२०२४

  

 

    

12 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर निर्मल,सहज,सरल अभिव्यक्ति।
    सादर।
    ---------
    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना मंगलवार १३ अगस्त २०२४ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत ही सुन्दर सार्थक और भावप्रवण रचना
    मेरे ब्लॉग पर भी आइए

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह! बहुत ही प्यारी रचना। दीदी होना सौभाग्य की बात है।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत ही बढ़िया पवन जी! ये प्यारी दीदी हर आँगन की शोभा है और हर परिवार की प्यारी बिटिया है🙏

    जवाब देंहटाएं