मंगलवार, 18 अक्टूबर 2022

माया से यह मन खंडित है



माया  से  यह  मन खंडित है

अहंकार  में   बस  पंडित  है

मिल जाये आशीष आप का

समझूँगा   जीवन  मंडित है

 

प्रभु कीर्ति आप की जातरूप

मिल जाये  मृदुवत ज्ञान कूप

इक क्षण की कृपा दृष्टि होवे

हेमंत भी दे ऋतुपति सा धूप

 

जग के छल  से  मन  आहत है

सो मन को आप  की साहत है

सब मृग मरीचिका भटक लिया

प्रभु  आप  शरण  में  राहत  है

 

दीन दुखी के  परम वरद हो

आप निरंतर प्रभु अनहद हो

मिल जाये आशीष आप का

उसका निश्चित विमल विरद हो

 

आप  प्रभु  पावन विशाल वट

हम डाली के अधम से मरकट

अनुकम्पा  प्रभु  आप करें तो

मिल जाये जीवन का सदतट

 

पवन तिवारी

०२/०९/२०२२

 

  

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