शनिवार, 16 जुलाई 2022

सुबह सुबह अलसायी माटी

सुबह सुबह अलसायी माटी

सुबह – सुबह सूरज चौकन्ने

सिमटे हैं कुछ लोग शीत से

और कृषक  काटते   हैं गन्ने

 

सुबह – सुबह कुछ आग तापते

कुछ  हैं  लम्बी   डगर  नापते

कुछ  गंगा   में   नहा   रहे  हैं

कुछ  हो  किनारे  खड़े  काँपते

 

सुबह–सुबह कुछ खेत को चुनते

कुछ   जीवन   के   दाने  चुगते

कुछ   सपनों   में   खोये  रहते

खुली  आँख कुछ  सपने  बुनते

 

कुछ मौसम को भी धकियाते

कुछ  के  आड़े  मौसम   आते

हर प्रवृत्ति  के  लोग  यहाँ हैं

कर्मवीर  ही  मन  का   पाते

 

आओ कर्म  की  हैं जय गाते

औरों  को  भी  हैं  बतलाते

माने  या कोई बात न माने

आओ  अपना  फर्ज़ निभाते  

 

पवन तिवारी

१४/०२/२०२२       

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