शनिवार, 16 जुलाई 2022

मैं जानता हूँ, तुम....

मैं जानता हूँ, तुम मुझसे

बात करना चाहती हो

पास तो हो किन्तु,

निकट आना चाहती हो !

हा, तुम्हारी झिझक का

आभास  है इसलिए ,

मोबाइल नम्बर लिख दिया था;

तुम्हारे सिरहाने

एक कागज हृदय पर!

किन्तु तुम्हारा नहीं आया,

जिस दिन तुम

साहस कर पाओगी

उस दिन मैं पास नहीं

बहुत दूर निकल गया होऊँगा

तब तुम्हारा फोन तो आ जाएगा

पर मैं लौट नहीं पाऊँगा!

मेरी चिट्ठी मेरा अंतिम प्रयास!

अगर समझ सको तो,

हम साथ में दुनिया को समझेंगे !

तुम्हारा- “हम का मैं”



पवन तिवारी

२२/०२/२०२२ 

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