सोमवार, 4 जुलाई 2022

जीवन का तोय सूखता है

जीवन  का   तोय   सूखता  है

अब हिय  से  कौन  पूछता  है

सब  अपनी  आपा  धापी  में

धन पर ही  सकल रीझता है

 

अब  कौन  लोक  से डरता है

जैसे  भी  हो   बस  भरता है

अब  सम्बंधों  का  निर्धारण

बहुधा बस द्रव्य ही करता है

 

देवों  से   बढ़कर  द्रव्य  हुआ

कौशल्या का  ज्यों हव्य हुआ

इसका महात्म्य कुछ ऐसा है

प्रति कर्ण का पावन श्रव्य हुआ

 

माना  कि  ना  यह  सत्य हुआ

पर यह तो सच यह तथ्य हुआ

निर्णय  तो  तथ्यों    से   होते

सो निष्फल सच का कथ्य हुआ

 

पवन तिवारी 

०५/०१/२०२२    

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