गुरुवार, 23 जून 2022

वक़्त ने ज़िन्दगी की

वक़्त  ने  ज़िन्दगी  की  दिशा मोड़  दी

ज़िन्दगी   में  कहानी  नयी   जोड़   दी

पहले   से   ही   परेशानियाँ  थी  बहुत

रिश्तों की  सब पुरानी  कड़ी  तोड़  दी

 

अब  नये  लोग  हैं  अब  नया  है नगर

हूँ  महल  में  मगर  याद  आता  है घर

सारी सुविधा यहाँ किन्तु सब अजनबी

ऐसे  वैभव  में  भी  त्रासदी  सा असर

 

इस महामारी  ने अपनापन लूटा है

छोटा - छोटा  कई ठो सपन टूटा है

लूटा जग भर को इस बेरहम वक्त ने

हर किसी का कोई ना कोई छूटा है

 

कैसे - कैसे  बुरे  वक़्त   भी   बीते  हैं

वक़्त  का  ये  जहर साथ  में  पीते हैं

शिव से अब सीखने की जरूरत बहुत

मिल के फिर से  नयी ज़िंदगी जीते हैं

 

 

पवन तिवारी

१२/०९/२०२१

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