मंगलवार, 31 मई 2022

आज सिमटता जाता

आज सिमटता  जाता  ज़िन्दगी का डेरा है

जिस सड़क से बचते थे अब वहीँ बसेरा है

 

कुछ अंधेरों को हमने खुद ही पाल रखा है

सोच में  उजाला  रख  हर तरफ सवेरा है

 

सारी  बेईमानी  की  माया छूट  जायेगी

ये  फरेब  जीवन  का  तेरा  मेरा फेरा है

 

कल किसी हक़ इसका मिल जायेगा देखना

हाय – हाय  करके ये तुमने जितना घेरा है

 

तुझसे पहले कईयों ने तेरा  मेरा खेला था

तेरा  भी  ये  ना होगा आज ये जो तेरा है

 

पवन तिवारी

१५/०७/२०२१   

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