मंगलवार, 17 मई 2022

मौसम ये बदल भी जायेंगे

मौसम ये  बदल  भी जायेंगे

काले   बादल    हट  जायेंगे

ये  उदासी  के  स्वर गुजरेंगे

कुछ    नये   तराने   आयेंगे

 

कुछ सदा  रहा न  रहेगा  ही

सरिता का जल तो बहेगा ही

थोड़ा साहस थोड़ा धैर्य धरो

दुःख का भी किला ढहेगा ही

 

बेसुरों  के  भी  दिन  आते हैं

पर अल्प  समय  ही  गाते हैं

सुर  वाले   धीमें   से   आते

धीरे – धीरे    छा   जाते  हैं

 

अच्छों का भी  यही  होता है

आरम्भ में कुछ दिन रोता है

फिर धीरे – धीरे बदले  दिन

और  हँसते - हँसते  सोता है

 

पवन तिवारी

२९/०५/२०२१     

 

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