मंगलवार, 31 मई 2022

घिर - घिर आये घन

घिर - घिर आये घन रह - रह नाचे मन

मन में उमंग  भरे  हौले हौले चले पवन

बिजुरी से चमके तन हिया डोले वन- ३

रोम – रोम  भीगे  महके  ज्यों  उपवन

 

कृषक हुआ है मगन चूड़ी खनके खन खन

रह  -  रह  कर  होती  वर्ष  बड़ी  सघन

घन भी बड़ा मगन लचक लचक जाये तन

सोंधी  गंध  उठे   खेत   करे  सन  -  सन  

 

भीगा भीगा प्रेम  सदन अंदर उठे अगन

बूंद  पड़े  ज्यों - ज्यों  सजने  लगें सपन

हर्षित  हुआ मदन धड़कन  सनन सनन

बरस - बरस बोले घन ये घनन - घनन

 

पवन तिवारी

१७/०७/२०२१

 

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