शनिवार, 23 अप्रैल 2022

उसने ख़ुशबू कहा

उसने  ख़ुशबू  कहा   चंदा कहा   गुलाब कहा

फिर भी मैं चुप रहा तो उसने लाजवाब कहा

 

मैं ज़रा खुश हुआ तो  प्यार का वरक बोला

उसने रोका मुझे और इश्क की क़िताब कहा

 

जब भी मिलता था कसीदे उसी के पढ़ता था

कल वो  नाराज  था  बेसाख्ता  ख़राब  कहा

 

आज उसकी अदा ने बोल दिया वो थी मिली

मुझको  देखा  कि  मुझे  देखते  ज़नाब  कहा

 

ये बहुत खुश था जिसे  रोज चाँद कहता था

आज  धीरे  उसने   इसको  आफताब   कहा

 

पवन तिवारी

०८/०४/२०२१ 

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