रविवार, 24 अप्रैल 2022

आज सच कहना

आज सच  कहना  बड़ी  आलोचना है

हर तरफ चर्चा है  इस पर सोचना है

सत्य  के  रक्षार्थ  आओ  साथ में सब

बन न जाये  ये  प्रथा  इसे मोचना है

           

सत्य को अनुबंध  से भी विमोचना है

जो  भी  आये  पूर्णता  में  लोचना है

अब नहीं अवधारणाओं को दो प्रश्रय

भ्रम के सारे  आवरण  को  नोचना है

 

हो  जहाँ  अन्याय  खुलकर  टोकना है

बात  उससे   ना  बने  तो  रोकना  है

हो अगर स्थिति  विषम तो एकता से

सबको मिलकर सारी शक्ति झोकना है

 

आपसी  सब  भ्रांतियों  को  गोजना  है

जिनमें प्रतिभा हैं जो वंचित खोजना है

अब नहीं विश्वास करते यूँ ही सब जन

तर्क  दृढ़ता   से  कहो   ये   योजना  है

 

पवन तिवारी

११/०४/२०२१

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