मंगलवार, 25 मई 2021

ज़िन्दगी में अचानक

ज़िन्दगी में अचानक जो  आने लगे

सोचना तुम ज़रा हैं वे कितने  सगे

अपनापन हैं जताते तुम्हें  हर घड़ी

वक़्त आने पे वे सबसे  पहले भागे

 

वैसे संबंध  बहुतों  से  हो  जाते हैं

जुड़ना चाहो बहुत लोग जुड़ जाते हैं

किन्तु संबंधों का अर्थ  तब होता है

जब  निभाते  हुए  दूर तक जाते हैं

 

सांत्वना  अर्थ  से भी बड़ी होती है

वक़्त पर हौले से जब खड़ी होती है

स्नेह का  मोल कोई लगा न सका

रिश्ते की सबसे प्यारी कड़ी होती है

 

रिश्ते कम अच्छे हों तो भी चल जाता है

व्यर्थ का लम्बा रिश्ता भी खल जाता है

जितना हो  उसको  मन से निभाते रहो

सारा  अवरोध  धीरे  से  टल  जाता है

 

पवन तिवारी

संवाद – ७७१८०८०९७८

१७/६/२०२०

     

सोमवार, 24 मई 2021

भोर जो आकर खिड़की खोली

भोर जो आकर खिड़की खोली

सुबह ने फिर दरवाज़ा खोला

सारे पक्षी सोच रहे थे

पर पहले आ कागा बोला

 

सूरज की आहट पाते ही

अलसाया जग लगा डोलने

किरणों से जब भेंट हुई तो

सुमन पंखुड़ी लगे खोलने

 

पत्ता-पत्ता गीला करके

ओस की बूँदें लगी पसरने

घर से निकल के सारा ही जग

अपने काम से लगा बिखरने

 

अल्प समय में ही जग भर में

हँस कर सूरज लगा टहलने

यूँ सूरज को हंसते देखकर

बिटिया का मन लगा बहलने

 

बाऊ जी हमें सूरज चाहिए

कहकर बेटा लगा पुलकने

उसकी भोली बातें सुनकर

सारे लोग लगे हँसने

 

पवन तिवारी

संवाद – ७७१८०८०९७८

१५/६/२०२० अलाउद्दीनपुर

 

मैं चाहता हूँ ज़िन्दगी

मैं चाहता हूँ ज़िन्दगी

मेरे साथ बीते

मुझसे बतियाते हुए

मेरा और अपना

सब कुछ साझा करते हुए

किन्तु वह कट रही है

किसी और के साथ

और मैं अकेले बीत रहा हूँ

यह अकेले बीतना ही

ज़िन्दगी की त्रासदी है

और इससे बचते हुए

बीतना सुखद ज़िन्दगी  


पवन तिवारी 

संवाद - 7718080978

 

 

१/६/२०२०, अलाउद्दीनपुर