शनिवार, 9 मई 2020

गिरना अच्छा लगता है


वो एक आम लड़की
सहमी, सपनों से अंजान
जिसे बनाया उसने अपनी औरत
दिखाए सपने, दिया असीमित प्यार
जिसके लिए छोड़ दिए
अपने सभी रक्त सम्बन्धों की दुनिया
और एक दिन अचानक पता चला कि
उस औरत ने उसे छोड़ दिया है
अब वह किसी और के साथ सोती है
उसने उस औरत से पूछा –
कि उसने उसके साथ ऐसा क्यों किया
औरत ने तपाक से कहा-
मुझे उसके साथ सोना अच्छा लगा.
इसके बाद वह चुप हो गया यूँ
 जैसे कट गयी हो उसकी जुबान
महीनों घर के सबसे छोटे कमरे के कोने में
डरे हुए प्रताड़ित गूँगे की तरह पड़ा रहा
उसकी बड़ी हुई दाढ़ी और
चेहरे पर पर पसरी पीड़ा
माहौल को डरावना बना रही थी
वह अपनी नज़रों में गिर गया था
 उसे आती थी खुद पर शर्म
वह खुद को दुनिया से छुपाकर
चाहता था रखना  जैसे-
उसने किया हो कितना घृणित अपराध
जिस प्रेम पर था उसे गर्व और
स्वयं से अधिक विश्वास
वो सब हो गया था धराशायी
अब उसका विश्वास और गर्व
मिथ्या साबित हो चुका था.
उसने एक दिन कोठरी से निकल कर
उस औरत से फिर से पूछा था-
वही एक ही प्रश्न लगातार कई बार
कि मुझसे क्या भूल हुई ?
औरत ने कहा कोई भूल नहीं
बस! वह अच्छा लगा. इतना सुनकर
उसके घुटने खुद मुड़ गये थे
और वह फर्श पर गिर पड़ा था.
अचानक उसके चेहरे के सामने
उन सभी औरतों के चेहरे घूर्णन करने लगे
जो उसे अच्छी लगी थी या
जिन्हें वह अच्छा लगा था
किन्तु वह उनके साथ नहीं सोया था
जब भी उसे कोई अच्छी लगती तो वह
अपनी औरत को याद करता था और
वापस घर लौट आता था
इसकी औरत को ऐसा क्यों नहीं लगा
वह उस छोटे कमरे में कई दिनों तक
बिना कुछ खाये पिये सोचता रहा
उसने उन औरतों के साथ न सोकर
स्वयं के साथ छल किया.
महीनों कोठारी में रहने के बाद
उसने किया निश्चित
अच्छी लगने वाली औरतों के साथ
बिताएगा रात
कुछ सालों बात अचानक एक दिन
वह एक औरत के साथ
अस्त व्यस्त कपड़ों में पड़ा था कि
तभी एक औरत अंदर आयी और
उसे देखकर बोली – तुम इतने गिर गये.
वह हंसकर बोला – तुमने ही तो सिखाया
अब गिरना अच्छा लगता है और
एक भयावह सन्नाटा वातावरण में फ़ैल गया


पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें